ईसाइयों ने अपने खाली और गैर उपयोगी गिरजा घरों की रफा ए हुरमत या उनकी फिर से तामीर को संभव करार दिया है, इस मसले पर लगातार बहस व तकरार के बावजूद लेकिन मुसलमान पारंपरिक तौर पर मस्जिद ही रखने पर बज़िद रहे हैं चाहे उसका खामियाजा कुछ भी हो।
“मस्जिद को स्थानांतरित करना और उसकी ज़मीन पर सड़क या मकान बनाना कतई हराम है, चाहे उसकी जगह सोने की मस्जिद ही क्यों न निर्माण कर दी जाए।“ (इमाम अहमद रज़ा बरेलवी, फतावा रिजविया, जिल्द 6, पेज 385)
लुधियाना की तहसील माछी वाड़ा के गाँव हीडोन बेट में 100 साल पुरानी मस्जिद अब भी कड़ी है, हालांकि गाँव में मुसलमानों की आबादी ज़ीरो है। यह मस्जिद जो 1920 में निर्माण की गई थी नमाज़ी न होने की वजह से छोड़ दी गई थी। गाँव के बुजुर्गों की बदौलत मस्जिद को अब तक ढाया नहीं गया और न ही अब तक कोई इस पर कब्ज़ा करने में सफल हो सका है। गाँव के बुज़ुर्ग किसी को भी इसे मिस्मार करने नहीं देते क्योंकि उनके ख्याल में यह खुदा का घर है। फ़ोटो: मुस्लिम मिरर.
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