कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि हिजाब पर प्रतिबंध इस्लाम को बदलने के बराबर नहीं है, क्योंकि स्कार्फ पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।
कर्नाटक सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि हिजाब पर प्रतिबंध इस्लामी आस्था को बदलने के बराबर नहीं है, क्योंकि स्कार्फ पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है।
कर्नाटक के महाधिवक्ता पी नवदगी ने शीर्ष अदालत के समक्ष बताया कि हिजाब नहीं पहनने से धर्म का रंग नहीं बदलेगा। यह नहीं कहा जा सकता कि बिना हिजाब के इस्लामी आस्था बदल जाएगी
सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राज्य के Educational institutions में हिजाब पर प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया गया था, जिन्होंने Uniforms निर्धारित की थी।
कर्नाटक AG ने कहा कि शिक्षा अधिनियम और फरवरी 2022 के सरकारी आदेश (GO) हिजाब पर प्रतिबंध नहीं लगाते हैं, और कानून केवल कॉलेज प्रशासन को uniform को विनियमित करने और लागू करने की अनुमति देता है।
उन्होंने कहा “जब भी स्कूल प्रशासन अनुशासन लाने की कोशिश करता है,मौलिक अधिकारों का कुछ हिस्सा प्रभावित होता है। क्या आप कभी अनुशासन की परीक्षा ले सकते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता के लिए उचित प्रतिबंधों पर शासन कर सकते हैं?
उन्होने बेंच से पूछा "अगर कोई अपना सिर ढक लेता है, तो वे सार्वजनिक व्यवस्था या एकता का उल्लंघन कैसे कर रहे हैं?"
कर्नाटक सरकार के तर्कों को समेटते हुए, नवदगी ने कहा, “एक समान कपडे का निर्धारण सही है। यह नागरिक बनाम राज्य का मामला नहीं है।
Courtesy: IndiaToday